ईश्वरी सिंह
- सवाई जय सिंह का पुत्र था ।
- राजमहल का युद्ध – 1747 में ईश्वरी सिंह ओर माधोसिंह के मध्य लड़ गया । इस युद्ध मे विजय के बाद ईश्वरी सिंह में जयपुर में “सरगा सूली ” का निर्माण करवाया जिसे “इसरलट” भी कहते हैं ।
- बगरु का युद्ध – माधोसिंह ओर ईश्वरी सिंह के मध्य के बीच लड़ गया । इस युद्ध के बाद मराठा मल्हार राव दोनों भी के बीच संधि कारवाई थी । इसके बदले मल्हार राव होल्कर को 10 लाख रुपए देना टी किया ।
- ईश्वरी सिंह ये धन देने में असमर्थ रहा । इसलिए ईश्वरी सिंह ने होकर से परेशान हो कर 1750 में “सरगासूली” पर पर जाकर आत्महत्या कर ली ।
माधोसिंह
- ये सवाई जयसिंह का पुत्र था ।
- माधोसिंह द्वारा मराठाओ को एक चौथाई भाग राजस्व दिया जाना टी किया । जिस कारण सभी कछवाहा शासक माधोसिंह से नाराज हो गए।
- मल्हार राव होल्कर ” जेयप्पा संध्या ” के नेत्रत्व में 4000 मराठा सैनिकों को जयपुर में दुर्ग ओर मंदिर के दर्शनर्थ भेज । उस समय माधोसिंह के द्वारा जयपुर नगर के सारे दरवाजे बंद करवा दिए गए । ओर मराठाओ पर आक्रमण कर दिया था । जिसके बाद 70 मराठा सैनिक मारे गए थे ।
- भटवाड़ा युद्ध – माधो सिंह ओर शत्रुषाल । इसमे शत्रुषाल विजयी रहा ।
- माधोसिंह के द्वारा नाहरगढ़ दुर्ग में अपनी 9 पासवान प्रेमिका के लिए एक जैसे 9 महल बनाए गए ।
- माधोसिंह द्वारा शील की डूंगरी चाकसू में शीतल मंदिर का निर्माण करवाया था ।
सवाई प्रताप सिंह
- ये माधोसिंह का छोटा पुत्र था ।
- प्रताप सिंह स्वयं को गोविंद देव जी को दीवान मानता था । इसलिए अपने हर वचन के पहले “श्री गोविंद वचनार्थ ” कहता था ।
- तुंगा युद्ध — इसमे सवाई प्रताप सिंह विजयी रहा ।
- सवाई प्रताप सिंह स्वयं खुद ब्रिजनिधि कविताओ की रचना करता था । जबकि भरतपुर का शासक बदनसिंघ भरतपुर का शासक बदनसिंघ ब्रिजराज के नाम से रचना करता था ।
- सवाई प्रताप सिंह ने जयपुर में संगीत सम्मेलन का आयोजन कर दिया था । ओर राधा गोविंद संगीत सागर की रचना की थी ।
- सवाई प्रताप सिंह की रचनाओ का संग्रह “ब्रिजनिधि ग्रंथावली ” के नाम से जाना जाता हैं ।
- सवाई प्रताप सिंह की रचना – प्रताप चंद्रिका ओर राधा गोविंद
- सवाई प्रताप सिंह ने अपने दरबार में विभिन्न विषयों की “बाईसी ” बनवाई थी । जिसे गंधर्व बाईसी के नेम से जाना जाता हैं ।
- 1793 में चित्रकार साहिबराम के द्वारा सवाई प्रतापसिंह का आदमकद चित्र बनाने की परंपरा प्रारंभ की थी ।
- साहिबरम के द्वारा हि सबसे पहले राजस्थान मे सबसे पहले आदमकद चित्र ईश्वरी सिंह का बनाया था ।
- 1799 में हवामहल का निर्माण करवाया था । जिसके वास्तुकार ललचंद , इसमे 953 खिड़कियां हैं । ओर ये 5 मंजिल का हैं ।
सवाई जगतसिंह
- ये प्रताप सिंह का पुत्र था ।
- घिनघोली का युद्ध 1807 में लड़ गया था । जिसमे जगतसिंह जीत ।
- सवाई जगतसिंह ही आमेर का वह शासक हैं जिसने 1818 में East India company से संधि कर ली थी ।
- इसके द्वारा “चितेरों की ओबरी ” नामक विद्यालय बनवाया गया ।
- सवाई जगतसिंह ने ब्रिजबीहरी मंदिर का निर्माण करवाया था ।
राम सिंह द्वितीय
- जयसिंह तृतीय का पुत्र था ।
- अंग्रेजों ने इसे सितार -ए – हिन्द की उपाधि दी थी । क्योंकि इसने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों की हेल्प की थी ।
- अंग्रेजों ने कोटपुतली परगना इनाम में दिया था ।
- रामसिंह द्वितीय के द्वारा महाराजा कॉलेज का निर्माण करवाया था ।
- रामसिंह द्वितीय के द्वारा संस्कृत महाविध्यालय का निर्माण करवाया था ।
- रामसिंह द्वितीय के द्वारा ही संस्कृत भाषा को सर्वाधिक बढ़ावा दिया गाया था।
- रामसिंह द्वितीय के द्वारा ही “महाराज स्कूल ऑफ आर्ट ” के नाम से जाना जाता हैं ।
- राजस्थान में “पॉटरी कला ” को लाने का श्रेय भी इनको जाता हैं ।
- रामसिंह द्वितीय द्वारा ब्लैक , सुनहरी , ओर कागजी पॉटरी लाई गई ।
- रामसिंह द्वितीय ने जयपुर में रामप्रकाश नाट्य शाला का निर्माण करवाया ।
- रामसिंह द्वितीय ने रांनीवास बाग का निर्माण करवाया।
- रामसिंह द्वितीय राजस्थान के एकमात्र एसे शासक थे जो की ” बाजदारी ” के शौकीन थे।
- राज्य मे पतंगबाजी को लाने का श्रेय भी इनको जाता हैं ।
- रामसिंह द्वितीय में ही लार्ड माओ ने 1870 ने जयपुर व अजमेर की यात्रा थी ।
- 1875 में “मेव कॉलेज ” की स्थापना अजमेर में की ।
- रामसिंह द्वितीय के शासन काल में 1876 में ब्रिटिश राजकुमार प्रिंस अल्बर्ट जयपुर आया था । इसकी याद में रामसिंह ने अल्बर्ट हाल बनवाया था । इसका उद्घाटन 1887 में सर एडवर्ड द्वारा किया गया था ।
- इसका वास्तुकार – स्वीडन जेकब था ।
- रामसिंह द्वितीय ने प्रिंस अल्बर्ट के स्वागत में पूरे जयपुर शहर को गेरुए रंग में पुटवा दिया था । इस कारण इसको पिंक सिटी भी कहा जाता हैं । जयपुर को Pink City स्टैन्डरि ने अपनी किताब The royal town of India में कहा था।
माधोसिंह द्वितीय
- रत्नसिंह द्वितीय का दत्तक पुत्र था।
- माधोसिंह के द्वारा City Palace के सबसे बड़े चांदी के बर्तन का निर्माण करवाया था ।
- माधो सिंह मालवीय ने पीड़ित मदन मोहन मालवीय को द्वितीय 5 लाख का अनुदान bhu के लिए दिया ।
मनसिंह द्वितीय
- इसरदास स्वाइ सिंह का पुत्र था । जिसे माधो सिंह द्वितय द्वारा गोद लेकर उत्तराधिकारी घोसीत किया गया था ।
- इसके शासन काल में 1942 में राजस्व मण्डल की स्थपना की ।
- मन सिंह द्वितीय का प्रधान मंत्री मिर्जा स्माइल था । इन्ही के शासन काल में हिरालाल शास्त्री तथा मिर्जा स्माइल के मध्य “Gentleman’s Agreement” हुआ था।
- मानसिंह द्वितीय के नाम पर ही Sms अस्पताल ओर sms स्टेडियम का नामकरण किया गया था ।
- राजस्थान एकीकरण के समय सवाई मनसिंह ही जयपुर के शासक था ।
- 30 मार्च 1949 को वृहद राजस्थान का विलय कर दिया गया था । ओर मानसिंह द्वितीय को राजपुरोहित बना दिया गया । जो इस पद पर 1 नोवेम्बर 1956 तक रहा ।
- 1 नोवेम्बर को राजप्रमुख के स्थान पर राज्यपाल का पद सृजित किया गया ।
- राजस्थान के प्रथम राजस्थान – “गुरमुख निहाल सिंह ”
- मानसिंह द्वितीय , पोलो के अच्छे खिलाड़ी थे ; सर्वप्रथम पोलो टीम को विदेश ले जाने वालों सवाई मनसिंह मानसिंह द्वितीय ही थे।
- जयपुर को पोलो का मक्का कहा जाता हैं ।
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