रीट मनोविज्ञान नोट्स -Imagination(कल्पना ) notes for REET

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कल्पना एक प्रकार की मानसिक प्रक्रिया हैं । जिसके माध्यम से बीटी हुई अनुभूतियों को या फिर जो तथ्य हमारे सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत नहीं हैं । उन्हे स्मरण किया जाता हैं । कल्पना दूरस्थ वस्तुओ का संबंध में चिंतन हैं – मकड़ुएगल

कल्पना की परिभाषा

कल्पना के प्रकार

कल्पना की खोज विलियम मकड़ुएगल के द्वारा की गई थी । ये दो प्रकार की होती है ;

  1. पुनरुत्पादक कल्पना Re-Productive Imagination
  2. उत्पादक कल्पना Productive Imagination- इसके दो प्रकार हैं –
    1. रचनात्मक कल्पना constructive – इसे निर्माणात्मक कल्पना भी कहा जाता हैं । ये भौतिक होती हैं ।
    2. सृजनात्मक कल्पना Creative – ये अभौतिक कल्पना होती हैं ।

पुनरुत्पादक कल्पना

“बीती हुई अनुभूतियों का ज्यों का त्यों स्मरण मे लाना ही पुनरुत्पादक कल्पना हैं । ” जैसे – बचपन में मैं दिनभर खाता रहता था कोई टेंशन नहीं थी ।

उत्पादक कल्पना

“बीती हुई स्मृतयो को इस प्रकार सृजित किया जाए की कुछ नवीन तथ्य उत्पन्न हो तो इसे उत्पादक कल्पना कहते हैं । “जैसे – एक बालक बूंदी में एक मकान देखा ओर अपने गाँव में भी वैसे ही मकान बनाने की कल्पना करता हैं किन्तु उसका गेट अलग तरीके से बनाना चाहता हैं । इसके दो प्रकार हैं –

  1. रचनात्मक कल्पना – किसी भौतिक वस्तु के निर्माण की कल्पना करना , रचनात्मक कल्पना हैं । जैसे – एक अभियंता का नदी पर पुल बनाने की कल्पना करना । थॉमस अल्वा एडीसन का विद्युत बल्ब का आविष्कार करने की कल्पना करना ।
  2. सृजनात्मक कल्पना – किसी अभौतिक वस्तु का निर्माण करना ही सृजिनात्मक कल्पना हैं । जैसे – कविता , गीत संगीत की रचना की कल्पना करना

ड्रेवर के अनुसार कल्पना

  1. पुनरुत्पादक कल्पना
  2. उत्पादक कल्पना- इसके दो प्रकार हैं
    1. आदानात्मक या ग्राही कल्पना
    2. सृजनात्मक कल्पना- इसके दो प्रकार हैं
      1. परिणामवादी / कार्य साधक – इसके दो प्रकार हैं
        1. विचारक / सिद्धांतिक
        2. क्रियात्मक / व्यावहारिक
      2. सोनदर्यात्मक – इसके भी दो प्रकार हैं
        1. कलात्मक
        2. मन तरंग ( खयाली पुलाव )

Note :- जेम्स ड्रेवर ने विलियम मकड़ुएगल के आधार पर ही कल्पना के परकर दिए थे ।

आदानात्मक या ग्राही कल्पना

किसी की बातों को ग्रहण करके कल्पना करना। इसमें दूसरों की बातों पर ही क्रिया की जाती है अतः इसे अनुकरणत्मक कल्पना भी कहते हैं। जैसे – ” पिताजी की डांट सुन कर के कक्षा 10 की परीक्षा पास करने की कल्पना करना।

Kalpana

सृजनात्मक कल्पना

किसी नवीन वस्तु या तथ्य के निर्माण करने की कल्पना करना ही इस सृजनात्मक कल्पना है। इसके दो प्रकार हैं

  1. परिणामवादी/कार्य साधक कल्पना — ऐसे कार्य की कल्पना करना जिसका कुछ न कुछ परिणाम अवश्य निकले। इसमें अन्वेषण किया जाता है। जिसे अविष्कार की जननी भी कहा जाता है। रेडियो टीवी मोबाइल गाड़ी मोटर आदि इसी कल्पना की देन है। जैसे एक विद्यार्थी ने इस कल्पना को सृजित किया और उसका कक्षा 10 में अच्छा रिजल्ट आया। इस कल्पना के दो प्रकार है
    1. विचारात्मक/सैद्धांतिक कल्पना– इस प्रकार की कल्पना करना है जिसमें किसी नियम या सिद्धांत की उत्पत्ति हो। जैसे न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की नियम की खोज की
    2. क्रियात्मक या व्यापारिक कल्पना– ऐसी कल्पना करना जिससे किसी व्यवहार में आने वाली भौतिक वस्तु का निर्माण हो। जैसे घर बनाने की कल्पना करना।
  2. सौंदर्यात्मक कल्पना- किसी के सौंदर्य की कल्पना करना ही सौंदर्य आत्मक कल्पना है। कभी के द्वारा किसी की सुंदरता की कल्पना करना। इसके दो प्रकार हैं-
    1. कलात्मक कल्पना – किसी और भौतिक वस्तु के निर्माण की कल्पना करना। कविता, साहित्य ,कहानी की रचना करना ।
    2. मन तरंग कल्पना – इसे उटपटांग कल्पना भी कहते हैं। ऐसी कल्पना जिस पर कोई का नियंत्रण ना हो अट्ठारह जिसकी कोई सीमा ना हो यदि मनुष्य की दोनों आंख पीछे होती तो क्या होता।