उत्पत्ति
- जेम्स टोड ने इनको विदेशी माना हैं ।
- दशरथ शर्मा के अनुसार राजपूतों की उत्पति ब्राह्मणों से हुई थी ।
- गोरिशंकर हीराचंद ओझा ने चौहनों को सूर्यवंशी माना था ।
- सारांश में चौहनों का मूल स्थान सपादलक्ष के आस पास का क्षेत्र हैं ।
- राजस्थान में सर्वाधिक विस्तार चौहनों का ही हुआ था ।
सपादलक्ष चौहान
- इस शाखा की स्थापना 551 ई में वासुदेव के द्वारा की गई थी ।
- वासुदेव को ही चौहनों का मूल पुरुष कहा जाता हीं ।
- वासुदेव ने अपना साम्राज्य सपादलक्ष को बनाया था जिसकी राजधानी नागौर को बनाया था ।
- चौहनों की पहली राजधानी अहिछत्रपुर थी । दूसरी सांभर ओर तेसरी अजमेर थी ।
- इनकी चौथी राजधानी दिल्ली थी ।
- वासुदेव के द्वारा ही सांभर झील का निर्माण करवाया गया था।
गुहक प्रथम
- गुहक ने सीकर में हर्ष नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था ।
- हर्ष नाथ जी चौहनों के कुलदेवता ओर कुलदेवी जीर्णमाता थी ।
- हर्षनाथ मंदिर सीकर ओर हर्षनाथ की पहाड़ियाँ अलवर ओर हर्ष की पहाड़ी सीकर में थी । हर्ष मत का मंदिर आभानेरी दौसा में थी ।
चंदनराज
- यह गुहक द्वितीय का पुत्र था ।
- चंदनराज ने कांतली नदी के बहाव क्षेत्र तोरा वाटी से तोमरो को पराजित करके हटाया था ।
- रुद्राणी चंदनराज की पत्नी थी ।
- रुद्राणी आत्मप्रभा के नाम से जानी जाती थी । ये योग क्रिया में निपुण थी । ये प्रतिदिन पुष्कर में अपने इष्टदेव के सामने 1000 दीपक जलाकर पूजा कति थी ।
अजेराज
- पृथ्वीराज प्रथम का पुत्र था।
- अजय राज ने 1113 में अजमेर की स्थापना की थी ।
- अजय राज के द्वारा अजयमेरु गढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था ।
- अजयमेरु गढ़ को गढ़ बिठली व तारागढ़ भी कहा जाता हैं ।
- अजयमेरु गढ़ को बिशप हेबेर ने इसे पूर्व का जिब्राल्टर कहा था।
- अजय राज ने अजमेर को चौहनों की तीसरी राजधानी बनाया था ।
- अजेराज अपने जीवनकल में ही अपने पुत्र अरनोराज को उत्तराधिकारी बनाया तथा ओर खुद पुष्कर के जंगलों को चला गाया।
अर्णोराज / आनाजी
- ये अजेराज का पुत्र था ।
- अर्णोराज ने अजमेर में आनासागर झील का निर्माण करवाया था ।
- इसी झील के किनारे जहांगीर ने दौलत बाग का निर्माण करवाया था । जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान भी कहा जाता हैं ।
- इसी झील के किनारे संगमरमर की 12 दरियों का निर्माण करवाया था।
- अर्णोराज के द्वारा पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया था। जो विष्णु भगवान को समर्पित हैं ।
- इनकी हत्या इनके पुत्र जगदेव ने की थी ।
- अर्णोराज के चार पुत्र थे। जगदेव, विग्रहराज चतुर्थ , अपरगांगे , सोमेश्वर ।
विग्रहराज चतुर्थ
- अर्णोराज का पुत्र था।
- इनको इतिहास में बिसलदेव के नाम से जाना जाता हैं ।
- ये संस्कृत का विद्वान ओर विद्वानों का आश्रयदाता भी कहा जाता हैं ।
- विग्रहराज चतुर्थ ने संस्कृत भाषा में “हरीकेली ” नाटक की रचना की थी ।
- विग्रहराज चतुर्थ के दरबार में सोमदेव नामक कवि रहता था जिसने ललित विग्रहराज की रचना की थी ।
- विग्रहराज चतुर्थ ने अजमेर में संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया था । जिसको तुड़वाकर मोहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबउद्दीन एबक ने ढाई दिन का झोंपड़ा बनवा दिया ।
- विग्रहराज चतुर्थ ने दिल्ली को चौहान वंश की चोटही राजधानी बनाया था ।
- विग्रहराज चतुर्थ ने बिसलसागर बंध का निर्माण करवाया था।
- विग्रहराज चतुर्थ को कवि बंधव के नाम से भी जाना जाता हैं ।
- बिसलदेव रासो ने नरपति नलह के द्वारा की गई ।
सोमेश्वर
- ये अर्णोराज का पुत्र था ।
- सोमेश्वर ने कालचूरी की राजकुमारी कर्पूरी देवी से विवाह किया था ।
- सोमेश्वर के दो पुत्र थे – पृथ्वीराज तृतीय ओर हरीराज
- सोमेश्वर की हत्या भीमदेव (गुजरात के शासक ) के द्वारा की गई थी ।
पृथ्वीराज चौहान तृतीय
- इनके पिता सोमेश्वर थे ।
- इनकी मत कर्पूरी देवी थी ।
- पृथ्वीराज चौहान 11 साल की आयु में शासक बन गाया था।
- पृथ्वीराज चौहान के शासन का प्रारम्भिक संचालक इसकी माता कर्पूरी ददेवी के द्वारा किया गाया था । जिसमे सर्वाधिक सहयोग कदंबवास मंत्री केमास ओर भुवनमल का रहा था ।
- ये चौहान वंश का सबसे ताकतवर ओर शक्तिशाली शासक था
- पृथ्वीराज चौहान को राय पीठोरा ओर दलपुंगल के नाम से भी जाना जाता हैं । जबकि दलथंबन की उपाधि मारवाड़ के शासक गज सिंह को जहांगीर के द्वारा दी गई थी ।
- गुड़गांव युद्ध – ये नागार्जुन ओर पृथ्वीराज चौहान के बीच लड़ गया था जिसमे पृथ्वीराज चौहान जीत गया ।
- महोबा का युद्ध – ये उत्तर प्रदेश के शासक परमार देव ओर पृथ्वीराज चौहान के बीच लड़ गया था जिसमे परमार के प्रसिद्ध सेनापति आला उदल लड़ते हुए मारे गए थे ।
तराईंन का पहला युद्ध
ये पृथ्वीराज चौहान ओर मोहहमद गौरी के बीच लड़ गया था । इसमे मुहम्मद गौरी की अपमानजनक हर हुई थी । पृथ्वीराज चौहान का विवाह कन्नोज के गहड़वाल शासक जयचंद की पुत्री से हुआ , जिस कारण नाराज होकर मोहम्मद गौरी के साथ जयचंद नाराज होकर मिल गाया था ।
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तराईंन का दूसरा युद्ध
ये इतिहास में एक निर्णायक युद्ध माना जाता हैं । क्योंकि इसी युद्ध के बाद भारत में स्थायी रूप से मुस्लिम शासकों की स्थापना होती हैं । पृथ्वीराज चौहान के शासन काल में ही 1192 मे ही मोहम्मद गौरी के साथ ख्वाजा मॉइनूद्दीन चिश्ती भारत आए । सूफी पंथ / चिश्ती संप्रदाय की स्थापना की थी । तराईन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान पकड़ा गया था , ओर उसे मार दिया था ।
पृथ्वीराज रासो के अनुसार – चंद्रबरदाई जो की पृथ्वीराज पृथ्वीराज चौहान का मित्र था ओर दरबारी कवि था । इस ग्रंथ में बताया गया हैं की पृथ्वीराज चौहान को पकड़ कर गजनीं ले जय गाया था । वहाँ पर मुहम्मद गौरी के द्वारा उसकी आँखें फोड़ दी गई । पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण था । पृथ्वीराज चौहान को चंद्रबरदाई द्वारा एक दोहा –” चार बांस चौबीस गज , अंगुल अष्ट प्रमाण ; ताव पर सुल्तान हैं , मत चुके चौहान । । ” के अनुसार पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को तीर से मारा गया था । पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम “नाट्य रंभा ” था ।