- अमर सिंह के पुत्र कर्ण सिंह थे इनके समकालीन मुगल बादशाह जहांगीर और शाहजहां थे।
- शाहजहां अपने पिता जहांगीर से विद्रोह करके करण सिंह की शरण में आ गया ।
- करण सिंह ने शाहजहां को पिछोला झील में बने जल मंदिर में शरण दी थी।
- जग मंदिर महल का निर्माण कार्य करण सिंह के समय शुरू हुआ लेकिन इसको पूरा कराने का कार्य जगत सिंह प्रथम ने किया।
जगत सिंह प्रथम
- जगत सिंह प्रथम करण सिंह का पुत्र था जग मंदिर का निर्माण इन्होंने पूरा करवाया था
- उदयपुर में जगदीश मंदिर का निर्माण करवाया था इस मंदिर को सपनों में बना मंदिर कहा जाता है
- इसी मंदिर में जगन्नाथ राय प्रशस्ति का निर्माण करवाया गया था जिसके रचयिता कृष्ण भट्ट थे।
राज सिंह
- 1652 से 1680
- यह जगत सिंह प्रथम का पुत्र था
- समकालीन शाहजहां और औरंगजेब थे
- औरंगजेब और राज सिंह के मंदिर कड़वे संबंधित है क्योंकि इसका कारण चारुमति थी जो कि किशनगढ़ की रहने वाली थी यह राज सिंह की प्रेमिका थी लेकिन औरंगजेब इसे पसंद करता था। चारुमति का विवाह अजीत सिंह के साथ है कर दिया गया था जो कि औरंगजेब का दुश्मन था और मारवाड़ का शासक था जिसको राज सिंह ने शरण दी थी।
- राज सिंह का सेनापति रतन सिंह था जो हाडी रानी का पति था हाडी रानी माटुंडा बूंदी की थी।
- रतन सिंह के युद्ध में जाते समय हाडी रानी से निशानी मानने पर सहल कवर ने अपना सिर काट कर भेंट कर दिया। विषय इतिहास में हाडी रानी के नाम से जाना जाता है।
- राज सिंह ने राजसमंद झील का निर्माण करवाया था
- उत्तरी पाल को नौ चौकी की पाल कहा जाता है जिसे संस्कृत भाषा में 25 शिलालेख लिखे हुए हैं जो राज प्रशस्ति के नाम से जानी जाती है
- राज प्रशस्ति के रचयिता रणछोड़ भट्ट के थे
- यह संसार के सबसे बड़े प्रशस्ति है
- नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मंदिर है और कांकरोली में द्वारकाधीश जी का मंदिर है इन दोनों मंदिरों का निर्माण राज सिंह ने करवाया था
- टायर ट्यूब के कारखाने के लिए प्रसिद्ध है।
- इनके पुत्र का नाम जय सिंह था । इन्होंने उदयपुर में जयसमंद झील का निर्माण करवाया था।
- महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी का निर्माण करवाया था लेकिन सात सहेलियों की मंदिर झालरापाटन झालावाड़ में स्थित है।
- जगत सिंह द्वितीय के पुत्र संग्राम सिंह द्वितीय थे इन्होंने हुरडा सम्मेलन में भाग लिया था जो कि भीलवाड़ा में स्थित है।
- यह सम्मेलन 17 जुलाई 1734 को आयोजित किया गया जिसका प्रमुख उद्देश्य मराठों के बढ़ते प्रभाव को रोकना था इसकी अध्यक्षता जगत सिंह द्वितीय द्वारा की गई
- मराठों का राजस्थान में प्रथम बार प्रवेश बूंदी में हुआ था
भीम सिंह
- इसकी पुत्री कृष्णा कुमारी थी
- पुत्री का विवाह मारवाड़ के शासक भीम सिंह के साथ करवाया गया लेकिन विवाह से पहले मारवाड़ के शासक भीम सिंह की मृत्यु हो गई इसी कारण मेवाड़ के शासक भीम सिंह ने कृष्णा कुमारी की सगाई अथवा विवाह आमेर के शासक जगत सिंह के साथ तय कर दिया इस बात को लेकर मारवाड़ और आमेर में युद्ध हो गया।
गिन्गोली का युध्द
जहां युद्ध 1807 में आमेर के शासक भगत सिंह और मारवाड़ के शासक खुमान सिंह के मध्य लड़ा गया जिसमें जगत सिंह विजई हुए। अंत में आमिर खान पिंडारी जोकि टॉक के शासक थे उन्होंने इस संपूर्ण कलह की जड़ कृष्णा कुमारी को जहर देकर मरवा दिया।
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1818 में मेवाड़ के शासक ने ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि कर ली।