इस पोस्ट में हम आपको राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व के बारे में बताएंगे, अधिक जानकारी के लिए आप इस पोस्ट को पूरा पढ़िए और आप इस पोस्ट को समय-समय पर देखते रहिए। इस पोस्ट में हमने सभी क्रांतिकारियों को उनके फोटो के साथ उनकी इतिहास को संजोने का प्रयास किया है। उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट पसंद आएगी।
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अर्जुनलाल सेठी
- इनका जन्म जयपुर में जैन परिवार में हुआ था। जयपुर में जनजागृति का श्रेय अर्जुन लाल सेठी को जाता है।
- इनकी योग्यता को देखकर इन्हें जयपुर राज्य की ओर से चोमू के दीवान की नौकरी दी गई, जिसे सेठी जी ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि अगर अर्जुन लाल सेठी नौकरी करेगा तो इन अंग्रेजों को देश से बाहर कौन निकालेगा ।
- इन्होंने जयपुर में जैन वर्धमान पाठशाला की स्थापना की जिसमें क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था ।
- 1915 की सशक्त क्रांति को सफल बनाने के लिए इनको धन एकत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई ।
- इसी प्रकार निमाज एक जैन संत को लूट ऐसे में उसकी हत्या हो गई तथा इस आरोप में अर्जुन लाल सेठी जी को वेल्लोर जेल तमिलनाडु में 7 वर्षों के लिए बंद कर दिया गया। कुछ समय बाद बेलूर जेल से सेठी जी महाराष्ट्र गए, जहां पर इनकी मुलाकात बाल गंगाधर तिलक से हुई।
- बाल गंगाधर तिलक जी ने इनका स्वागत जोरों शोरों के साथ किया। महाराष्ट्र से बरदोली गए तथा वहां पर छात्रों ने इन्हें बग्गी में बिठा कर स्वागत किया ।
- 1922 से 23 में अजमेर क्षेत्र के कांग्रेस के अध्यक्ष रहे । 1924 में हरीभाऊ उपाध्याय से हारने के बाद उन्होंने हमेशा हमेशा के लिए क्रांतिकारी गतिविधियों का त्याग पत्र दे दिया ।
- सांप्रदायिक सद्भावना का कार्य करने लगे तथा मदरसों में जाकर अरबी और फारसी पढ़ाने लगे।
- इनके मृत्यु के बाद इनकी इच्छा के आधार पर इन्हें जलाया नहीं गया इन्हें दफनाया गया
अमरचंद भाटिया
- अमर चंद भाटिया का जन्म बीकानेर में हुआ था.
- व्यापार के उद्देश्य से ग्वालियर गए जहां पर इन्हें राज्य की ओर से नगर सेठ की उपाधि दी गई
- राजकीय कोषाध्यक्ष बनाया गया
- अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के दौरान अमर चंद भाटिया ने रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे को धन की सहायता की इसीलिए अमरचंद भाटिया को 1857 की क्रांति का भामाशाह कहा जाता है
- इस बात की जानकारी अंग्रेजों को लगी और 22 अट्ठारह सौ 58 को अमरचंद भाटिया को ग्वालियर में फांसी की सजा सुनाई गई
- 1857 की क्रांति में शहीद होने वाला यह राजस्थान का पहला व्यक्ति माना जाता है इसीलिए अमरचंद भाटिया को राजस्थान का मंगल पांडे भी कहा जाता है
जय नारायण व्यास
- इनका जन्म जोधपुर में हुआ
- यह ब्राह्मण परिवार से थे
- या राजस्थान के प्रथम व्यक्ति हैं जिन्होंने सामंत शाहि के विरुद्ध आवाज उठाई
- जय नारायण व्यास को शेरे राजस्थान और राजस्थान का लोक नायक भी कहा जाता है .
- जय नारायण व्यास को राजस्थान में अन्य उपाधियां भी दी गई है
- राजस्थान का चाणक्य
- राजस्थान का कौटिल्य
- राजस्थान का आधुनिक निर्माता
- जय नारायण व्यास जी ने 1927 में तरुण राजस्थान समाचार पत्र के प्रधान संपादक बने
- जय नारायण व्यास में 1920 में राजस्थानी भाषा के प्रथम राजनीतिक समाचार पत्र आगीबाण/ अग्निबाण का संपादन किया
- 1938 में मुंबई से अखंड भारत नामक समाचार पत्र निकाला
- जय नारायण व्यास राजस्थान के एकमात्र मनाने और निर्वाचित मुख्यमंत्री बने
- 1934 में जयनारायण व्यास ने मारवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की
जमनालाल बजाज
- इनका जन्म काशीकाबास सीकर में हुआ
- इनकी पत्नी का नाम जानकी देवी बजाज था ।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने इन्हें रायबहादुर की उपाधि से सम्मानित किया था ।
- जमुना लाल बजाज ने असहयोग आंदोलन के दौरान रायबहादुर की उपाधि वापस लौटा दी थी ।
- 1927 में जयपुर में चरखा संघ की स्थापना की थी ।
- 1934 में गांधी सेवा संघ की स्थापना की थी ।
- 1938 में जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष बने ।
- यह हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक थे । उन्होंने हिंदी को ईमानदारी की भाषा कहां ।
- जमुनालाल बजाज को महात्मा गांधी जी का पांचवा पुत्र भी कहा जाता है ।
मारवाड़ – मारवाड़ में बाड़मेर, जालौर , जोधपुर , नागौर , पाली, सीकर का कुछ भाग, आता है जबकि मेवाड़ में भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ राजसमंद उदयपुर और झालावाड़ का कुछ हिस्सा आता है
मारवाड़ और मेवाड़ में अंतर
केसरी सिंह बारहठ
- इनका जन्म शाहपुरा भीलवाड़ा में हुआ
- इनके पिता श्री कृष्ण सिंह बारहठ थे । इनकी माता का नाम बख्तावर कंवर था । इनके पत्नी का नाम माणिक्य कंवर था । इन के पुत्र का नाम प्रताप सिंह बारहट था ।
- 1930 में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कर्जन ने एडवर्ड सप्तम के राज्यारोहण के उपलक्ष में भारतीय राजाओं को दिल्ली में दरबार आयोजित किया था जिसमें मेवाड़ के राजा महाराणा फतेह सिंह जी भी भाग लेने पहुंचे थे । केसरी सिंह बारहठ ने 13 सोरठे लिखकर फतेह सिंह जी को भेजा जिन्हें पढ़कर दिल्ली में होते हुए भी वह दरबार में नहीं गए । यह 13 सोरठे चेतावनी रा चूंगट्या के नाम से जाना जाता है ।
- केसरी सिंह जी को साधु प्यारेलाल की हत्या के आरोप में हजारीबाग जेल जो कि वर्तमान में झारखंड में है और जो पहले बिहार में थी मैं बंद कर दिया गया ।
- केसरी सिंह जी का अंतिम समय कोटा में बीता ।
- केसरी सिंह जी ने निम्न प्रमुख रचनाएं —
- चेतावनी रा चूंगट्या
- राज सिंह चरित्र
- दुर्गादास चरित्र
- प्रताप सिंह चरित्र
- रूठी रानी
- इन्हें राजस्थान के केसरी के नाम से भी जाना जाता है ।
- इन्हीं के नाम पर 1919 में वर्धा महाराष्ट्र में राजस्थान केसरी समाचार पत्र निकाला गया ।
जोरावर सिंह बारहठ
- जोरावर सिंह केसरी सिंह जी के भाई थे
- 1912 में लार्ड होर्डिंग के ऊपर इन्होंने बम फेंका था । यह घटना दिल्ली चांदनी चौक में हुई थी । जिसमें हाथी पर सवार लाड होर्डिंग तो बच निकला तथा उसका महावत मारा गया। इसे घटना को चांदनी चौक बम हादसा लॉर्ड होर्डिंग बम कांड में कहा जाता है
- इन्हें राजस्थान का चंद्रशेखर कहां जाता है
- 1912 की घटना के बाद जोरावर सिंह बारहठ भूमिका तो हो गए और आजीवन अंग्रेजों के पकड़ में नहीं आए इसीलिए जोरावर सिंह को राजस्थान का चंद्रशेखर आजाद भी कहा जाता है
- इन्होंने अमर दास बैरागी अपना नाम बदलकर बाकी जीवन व्यतीत किया तथा अंतिम समय कोटा में बिताया ।
प्रताप सिंह बारहठ
- इनके माता का नाम माणिक्य कंवर था और इनके पिता का नाम केसरी सिंह बारहठ था
- प्रताप सिंह बारहठ को जन्म 1912 में लार्ड होल्डिंग केस में आज आने के कारण 1916 में आशानादा रेलवे स्टेशन जोधपुर में गिरफ्तार कर लिया गया । तथा बरेली जेल में बंद कर दिया गया।
- बरेली की जेल में इनको बहुत यातना दी गई
- अंग्रेज अधिकारी चाल क्लीवलैंड ने कहा कि तुम्हारी मां तुम्हारे बिना दुखी है और वह दिन-रात आंसू बहाती है और इसके जवाब में उन्होंने कहा की “ मेरी मां रोती है तो रोने दो, मैं अपनी मां को हंसाने के लिए हजारों माओं को रोने नहीं दे सकता “
- एक दिन यातना सोते हुए बरेली की जेल में इनकी मृत्यु हो गई।
हिरालाल शास्त्री
- इनका जन्म जोबनेर मे जयपुर मे हुआ था , पुरोहित परिवार में इनका जन्म हुआ था
- इनके पिता नारायण शास्त्री थे ओर माता रत्ना शास्त्री थी ।
- 1915 में हीरालाल शास्त्री ने शांति बाई की याद में शांताबाई शिक्षा कुटीर संस्थान की स्थापना की जो आगे चलकर वनस्थली विद्यापीठ बना
- वनस्थली विद्यापीठ की संचालक इनकी पत्नी रत्ना शास्त्री थी
- 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जयपुर के पीएम मिर्जा इस्माइल और हीरालाल शास्त्री के मध्य एक समझौता हुआ जिसे जेंटलमैन एग्रीमेंट्स कहां गया
- इनका प्रसिद्ध गीत प्रलय प्रतिक्षा नमो नमः था
- इनके आत्मकथा प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र
- हीरालाल शास्त्री राजस्थान के प्रथम सीएम बने और प्रथम मनोनीत सीएम बने
भोगीलाल पंड्या
- इनका जन्म सीमलवाड़ा डूंगरपुर में हुआ था
- इनको वागड़ क्षेत्र में जनचेतना का श्रेय दिया जाता है
- 1919 में वागड़ सेवा संघ की स्थापना की गई थी
- 1938 में बनवासी सेवा संघ की स्थापना की थी
- जबकि प्रवासी संघ की स्थापना मोतीलाल तेजावत के द्वारा की गई थी मोतीलाल तेजावत को आदिवासियों का मसीहा भी कहा जाता है
- भोगीलाल पंड्या को वागड़ का गांधी भी कहा जाता है
- 1944 में डूंगरपुर प्रजामंडल की स्थापना की
- जैसलमेर में जनचेतना का श्रेय इनको दिया जाता है
- सागरमल गोपा को क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण जैसलमेर वाली जेल में बंद कर दिया गया था और वहीं पर उनके मिट्टी का तेल डालकर जला दिया गया
- इनके प्रमुख रचनाएं थी
- आजादी के दीवाने
- जैसलमेर का गुंडाराज
रास्ता पाल हत्याकांड
डूंगरपुर के राज्यपाल के पाठशाला के अध्यापक सेंगा भाई को पकड़कर जीप से बांधकर और घसीट कर अंग्रेज अधिकारियों द्वारा ले जाया जा रहा था, ऐसी घटनाओं को उनके शिष्या जो कि 13 साल की बालिका थी और जिसका नाम कालीबाई था, इस घटना को देखकर वह अपनी हंसिया लेकर आई और इससे रस्सी काटकर उसमें अपने गुरुजी की जान बचाई। इस घटना को राजस्थान के इतिहास में रास्ता पाल हत्याकांड के नाम से जाना जाता है ।
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