सामाजिक विज्ञान नोट्स -रीट 2022 – मेवाड़ के शासक

मेवाड़ सबसे प्राचीन रियासत थी । इसका प्राचीन नाम मेदपाट था । ओर इसको प्राग वाट या शिवि भी कहा जाता था । अब हम इसके वंशों के बारें में पढ़ते हैं ।

गुहिल वंश

  1. 566 ईसवी के आसपास गोहिल वंश में मेवाड़ में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी और इसकी राजधानी नागदा को बनाया था
  2. गुहिल वंश ने मेवाड़ में सर्वप्रथम चांदी के सिक्के चलाए

नोट कीजिए

सिक्के शासक
चांदी के सिक्के गुहिल वंश ने
सोने के सिक्के बप्पा रावल ने
तांबे के सिक्के शीलदित्य ने
राजधानी शासक
नागदा गुहिल वंश ने
आहड़ बप्पा रावल ने
चित्तौड़ शीलदित्य ने

बप्पा रावल

  1. बप्पा रावल का मूल नाम कालभोज था
  2. हारीत ऋषि की गाय चराता था
  3. हारीत ऋषि ने बप्पा रावल की उपाधि दी और इसका नाम रख दिया
  4. हारीत ऋषि के आशीर्वाद से 734 ई के आसपास बप्पा रावल ने मानमोरी मेवाड़ के शासक को हराकर शासक बना
  5. एकलिंग नाथ जी मेवाड़ के शासकों के कुलदेवता और बाण माता मेवाड़ के शासकों की कुलदेवी मानी जाती है
  6. बप्पा रावल में सोने के सिक्के चलवाय ।

तेज सिंह

  1. यही एकमात्र ऐसा मेवाड़ का शासक था जो जेत्र सिंह का पुत्र था
  2. इसने अपने जीवन काल में परमेश्वर और महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी
  3. इसी के शासनकाल में मेवाड़ की चित्रकला शैली का प्रमुख ग्रंथ श्रावक 35 प्रतिस्करमन सूत्र चूर्णी की रचना की गई

रतन सिंह

  1. इनके पिता का नाम समर सिंह था
  2. इनका राजा बनने का समय 1302 था
  3. सिंघल देश की गंधर्व सेन की पुत्री पद्मिनी से इनका विवाह हुआ
  4. 1540 में मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत नामक ग्रंथ की रचना की
  5. रानी पद्मिनी को प्राप्त करने के लिए दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था
  6. एक विशेष कथा के अनुसार रानी पद्मिनी का वर्णन रतन सिंह से हीरामन नामक तोते ने किया जब अलाउद्दीन खिलजी से पद्मिनी की सुंदरता का वर्णन राघव चेतन नामक तांत्रिक ने किया।
  7. 1540 में मलिक मोहम्मद जायसी ने अपने ग्रंथ पद्मावत में पद्मिनी और रतन सिंह की कहानी का सुंदर वर्णन किया
  8. पद्मावत ग्रंथ में चित्तौड़ को शरीर, राघव चेतन को शैतान, पद्मिनी को बुद्धि, रतन सिंह को मन, हीरामन को मार्गदर्शक, सिंहल दीप को ह्रदय कहा गया
  9. चित्तौड़ का पहला शाखा 1303 ईस्वी में इसी समय पर हुआ
    • 26 अगस्त 1303 को अलाउद्दीन खिलजी और रतन सिंह के मध्य भयंकर युद्ध हुआ । जिस में अलाउद्दीन खिलजी विजई हुआ। राजा रतन सिंह इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। इस युद्ध में रतन सिंह के नेतृत्व में केसरिया किया गया और रानी पद्मिनी के नेतृत्व में जोहर किया गया यह मेवाड़ का पहला और चित्तौड़ का पहला साका कहां जाता है जबकि यह राजस्थान का दूसरा साका है।
    • इस युद्ध में रतन सिंह के दो सेनापति गोरा और बादल लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए जिसमें गोरा पद्मिनी का चाचा और बादल पद्मिनी का भाई था,
    • चित्तौड़ पर विजय प्राप्त करने के बाद चित्तौड़ का शासक अपने पुत्र खिज्र ख़ान को नियुक्त किया गया तथा इसी के नाम पर इस जगह का नाम खिज्रबाद पड़ा ।
    • कुछ समय बाद खिज्र ख़ान सोनगरा मालदेव जोकि का नरदेव का भाई था और जालौर का शासक था, इसको चित्तौड़ का साम्राज्य सौंप दिया गया और वह स्वयं दिल्ली चला गया ।
    • ऐसी युद्ध का प्रत्यक्ष दर्शी इतिहासकार अमीर खुसरो था । जिसने अपने ग्रंथ खजाइन -उल -फुतह मैं इसका वर्णन किया ।
  10. रतन सिंह रावल इस शाखा का अंतिम शासक था

सीसोदिया वंश

राणा हम्मीर

  1. शासन काल- 1326 से 1364
  2. ये अरि सिंह का पुत्र था । जो की सीसोदिया गाँव का रहने वाला था ।
  3. राणा हमीर सिंह ने सोनगरा मालदेव को पराजित किया और मेवाड़ में सिसोदिया वंश की स्थापना की
  4. राणा हमीर सिंह के शासनकाल में मेवाड़ के शासकों के नाम के आगे राणा या फिर महाराणा शब्द का उपयोग किया जाने लगा ।
  5. राणा हमीर को कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति में विषम घाटी पंचानन की उपाधि दी गई।
  6. राणा हम्मीर को मेवाड़ का उद्धारक भी कहा गया
  • मेवाड़ का कर्ण भामाशाह को कहा जाता है।
  • राजपूताने का कर्ण रायसिंह को कहा जाता है
  • और कलयुग का कर्ण लूणकरणसर को कहा जाता है

राणा लाखा

  1. ये क्षेत्र सिंह का पुत्र था ।
  2. यह वह राजा है जो बुढ़ापे में विवाहित हुआ
  3. राणा लाखा का समकालीन मारवाड़ का शासक राव चूड़ा था।
  4. राव चूड़ा की पुत्री और रणमल की बहन हँसा बाई के साथ इनका विवाह हुआ
  5. राणा लाखा का उत्तराधिकारी पुत्र कुंवर चूड़ा था।
  6. कुवर चूड़ा को मेवाड़ का भीष्म पितामह भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने भीष्म पितामह की तरह भीषण प्रतिज्ञा की थी ।
  7. राणा लाखा और हनसा बाई के पुत्र मोकल हुआ।
  8. राणा लाखा के शासनकाल में चांदी की जावर खान की खोज हुई।
  9. पिछोला झील
    • पिच्छू बंजारे ने अपने बेल की याद में पिछोला झील का निर्माण करवाया।

मोकल

  1. इनका शासनकाल1421 से लेकर 1430 तक रहा।
  2. उनके पिता का नाम राणा लाखा और हनसा बाई थी ।
  3. मोकल का प्रारंभिक संरक्षक कुंवर चूड़ा था।
  4. हंसा बाई ने कुंवर को हटाकर रणमल को मोकल का संरक्षक बनाया गया।
  5. रणमल ने मेवाड़ के उच्च पदों पर मारवाड़ के उच्च पदों पर सामंत और राठौड़ सरदारों को उच्च पदों पर बिठा दिया और मेवाड़ के सामंतों को हटा दिया। इस कारण मेवाड़ के सरदार और सामंत नाराज हो गए।
  6. 1433 में चाचा और मोरा नामक व्यक्तियों ने मोकल की हत्या कर दी

महाराणा कुम्भा

  1. इनके पिता का नाम मोकल और इनकी माता का नाम सौभाग्य देवी था
  2. महाराणा कुंभा को मेवाड़ की स्थापत्य कला का जनक भी कहा जाता है
  3. महाराणा कुंभा अलग-अलग क्षेत्रों में विद्वान थे इसलिए इन्हें अनेक उपाधियों से नवाजा गया
    • इन्हें अभिनव भट्टाचार्य भी कहा गया क्योंकि यह संगीत के ज्ञाता थे
    • इन्हें राणो रासो कहा जाता है क्योंकि यह विद्वानों को आश्रय दिया करते थे
    • इन्हें महाराजाधिराज भी कहा गया क्योंकि यह राजाओं में श्रेष्ठ थे
    • इनको धीमान कहां गया क्योंकि यह बुद्धि मान थे
    • इनको नी:शक का कहा गया क्योंकि यह निडर थे
    • इनको चल गुरु चाप गुरु और दान गुरु कहा गया
    • इनको शेल गुरु कहां गया क्योंकि यह भाला चलाने में निपुण थे
    • इनको हिंदू सुल्तान भी कहा गया क्योंकि यह हिंदू राजाओं में श्रेष्ठ थे
    • इनको नाटक के क्षेत्र में निपुण होने के कारण नाटक राज्य का कर्ता भी कहा गया।
  4. महाराणा कुंभा के सामने दो समस्याएं थी पहले समस्या अपने पिता मोकल की हत्या का बदला लेना और दूसरी समस्या रणमल को मेवाड़ से हटाना
  5. महाराणा कुंभा ने रणमल के सहयोग से चाचा और मोरा की हत्या कर दी
  6. महाराणा कुंभा ने रणमल की दासी भारमली के सहयोग से रणमल की हत्या कर दी।
  7. चाचा और मोरा के पुत्र मालवा के शासक महमूद खिलजी की शरण में चले गए जिसके कारण महमूद खिलजी और महाराणा कुंभा के मध्य सारंगपुर का युद्ध हुआ
  8. महाराणा कुंभा द्वारा बनाए गए दुर्ग–
    • कविराज श्यामल दास के ग्रंथ वीर विनोद के अनुसार महाराणा कुंभा ने मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण करवाया था
    • कुंभलगढ़ दुर्ग का निर्माण महाराणा कुंभा द्वारा करवाया गया जो कि सर्वश्रेष्ठ दुर्ग है. यह दुर्ग मेवाड़ और मारवाड़ की सीमा पर स्थित है। इस दुर्ग का वास्तुकार मंडन था। यह दुर्ग महाराणा कुंभा ने अपनी पत्नी कुंभलदेवी की याद में बनवाया था
    • कटारगढ दुर्ग – दुर्ग कुंभलगढ़ दुर्ग के ऊपर के हिस्से में बना हुआ है । यह दुर्ग सर्वाधिक ऊंचाई पर बना हुआ है। इसे मेवाड़ की आंख भी कहा जाता है। इस दुर्ग के बारे में अबुल फजल ने यह कहा था कि इस दुर्ग को नीचे से ऊपर देखो तो सिर पर रखे पगड़ी नीचे की ओर गिर जाती है।
    • वसन्ती दुर्ग- इससे दुर्ग का निर्माण प्रतिहार शासकों के द्वारा करवाया गया था और। यह दुर्ग सिरोही में स्थित है इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराणा कुंभा द्वारा करवाया गया।
    • कुंभ श्याम महल चित्तौड़गढ़
  9. महाराणा कुंभा द्वारा बनवाए गए मंदिर
    • रणकपुर का जैन मंदिर- रणकपुर का जैन मंदिर महाराणा कुंभा ने 1439 ईस्वी में बनवाया था जिसमें 1444 खंभे बने हुए हैं इस मंदिर के वास्तुकार देपाक थे । यह जैन मंदिर धरणकशाह के द्वारा बनाया गया ।
    • यह आदिनाथ और ऋषभदेव को समर्पित है
    • इन्हें खंभों वाला मंदिर और जाल वाला मंदिर कहा गया है
    • श्रंगार चंवरि मंदिर, कुम्भ श्याम मंदिर, कुशाल माता का मंदिर, विजय स्तंभ
    • इसे मालवा विजय के उपलक्ष में महाराणा कुंभा ने बनवाया था इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश, मूर्तियों का अजायबघर ,विष्णु स्तंभ, और कीर्ति स्तंभ भी कहते हैं। ईसका का वास्तुकार जेता था। इसकी ऊंचाई 122 फीट और इसमें 57 सीढ़ियां है।
  10. महाराणा कुंभा द्वारा रचित ग्रंथ
    • संगीत राज, संगीत मीमांसा, सुड प्रबंध, कामराज,रतिसार।

रायमल

  1. इनके पिता का नाम महाराणा कुंभा है और पुत्र का नाम पृथ्वीराज कुंवर था
  2. इनके भाई का नाम संग्राम सिंह अथवा महाराणा सांगा था।
  3. कुंवारे पृथ्वीराज में अजमेर दुर्ग की मरम्मत करवा कर अपनी पत्नी ताराबाई की याद में तारागढ़ नामक दुर्ग बनवाया था और तारागढ़ दुर्ग बूंदी में भी स्थित है और । इसे तारागढ़ इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी संरचना तारीख के समान है।

महाराणा संग्राम सिंह

  1. महाराणा सांगा के पिता का नाम रायमल और उनकी माता का नाम रतन कंवर था
  2. महाराणा सांगा अंतिम हिंदू सम्राट और हिंदू बादशाह भी कहा जाता है
  3. कर्नल जेम्स टॉड ने महाराणा संग्राम सिंह को सैनिकों का भग्नावशेष नामक उपाधि दी
  4. महाराणा संग्राम सिंह द्वारा निम्न युद्ध लड़े गए
    • खातोली का युद्ध
    • बाड़ी का युद्ध
    • बयाना का युद्ध
    • खानवा का युद्ध
    • खानवा के युद्ध से पहले बाबर ने जिहाद का नारा दिया
    • खानवा के युद्ध के बाद बाबर को गाजी की उपाधि दी गई
    • खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा के घायल होने के बाद झाला और अज्जा ने धारण किया
    • खानवा के युद्ध में राणा सांगा की सहायता मारवाड़ के शासक राव गंगा ने सर्वाधिक 4000 सैनिक भेजकर की।
    • पाति पर्णेत- संपूर्ण राजपूतों को एकजुट करने की परंपरा को भी पाति पर्णेत की परंपरा कहा गया।
  5. महाराणा संग्राम सिंह ने समस्त राजपूतों को एकजुट कर लिया था इसीलिए इसे हिंदू पति बादशाह भी कहा जाता है
  6. महाराणा संग्राम सिंह की सहायता करने वाले अन्य राजपूत शासक राव कल्याणमल, अशोक परमार ,पृथ्वीराज कछवाहा ,उदय सिंह ,रायमल हसन खान, और महमूद लोदी ने किया।
  7. खानवा युद्ध एकमात्र राजस्थान का युद्ध है जिसमें शॉप और बारूद और तुगलेवा पद्धति का प्रयोग किया गया
  8. खानवा के युद्ध में राणा सांगा के घायल होने के बाद उन्हें दोसा में लाया गया राणा सांगा को रेट स्थान कालपी मध्यप्रदेश में सामंतों के द्वारा जहर देने के कारण 30 जनवरी 1528 को वीरगति को प्राप्त हो गए।
  9. इनके शव को दोसा लाया गया और उसके बाद मांडलगढ़ भीलवाड़ा में ले जाया गया जहां पर सांगा का समाधि स्थल वर्तमान में है।
  10. महाराणा सांगा के 4 पुत्र थे
    1. भोजराज
    2. रतन सिंह
    3. विक्रमादित्य
    4. उदय सिंह
  11. महाराणा सांगा के पुत्र का विवाह मीराबाई के साथ हुआ। मीराबाई का जन्म कुडकी गांव में हुआ था । जिनके पिता का नाम रतन सिंह था। जो मेड़ता के सरदार थे इनके दादा का नाम दुदाजी दादी था।और पति का नाम भोजराज था ।और इनके ससुर का नाम संग्राम सिंह था। इनके निर्देशन में रत्ना खाती ने नरसी जी के मायरो की रचना की।